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02 मार्च, 2023

तुम यहाँ कैसे



जब दूर गया तुमसे याद तुम्हारी आई 

ना निंद्रा  आई ना चैन मिला 

आतुर हुआ  घर आने को  
कहीं छुट्टे निरस्त ना हो जाए  |
बहुत दिनों बाद अवसर आया था घर आने का 

  शांति सीमा पर थी 

मेरे घर का द्वार खुला था 
सबको इंतज़ार था 
निगाहें टिकी थी  खाली सड़क पर 
अचानक किसी ने झांका खिड़कीसे 

हाथ हिलाते देखा तुम्हें 

मन बल्लियों उछला 

सब से मिला पहले |

फिर कक्ष में आया 

आश्चर्य हुआ मेरे  मुंह से निकला 

 तुम यहाँ कैसे कैसी परीक्षा हुई

परिणाम कब तक आएगा |

आशा सक्सेना 

13 मार्च, 2022

सायली छंद (२)



                                             १- मेरा

तन मन 

महकाती तेरी खुशबू 

बहकाती नहीं 

मुझे |

२-छलकी 

तेरी गागर 

जल से भरी 

सर पर 

धरी |

२- नहीं

चंचल चपल 

आज की नारी 

मेरी सोच

 खरी |

३-हम

हैं हिन्दुस्तानी  

 भारत के  निवासी 

 गर्व  है 

हमें |

४-प्रभू 

तुम ने 

दिया बहुत कुछ 

नहीं सम्हाला 

मैंने |

५-कोई 

 कब तक 

 रक्षा  करेगा  तेरी 

हुई तरुणा 

सक्षम |

६-डाली 

जीवन की 

है हरी भरी 

फूलों से 

लदी |

७-कमल

होकर  अलग 

तैरता पंक पर 

रहा दूर 

उससे |

























28 मार्च, 2015

आगमन उसका



बजी थाली आई खुशहाली 
आया पालना  घर में 
सोहर गाईं छटी पुजवाई 
नेगाचार कियेआँगन में  |
 एक परी सी आई  बिटिया 
इस छोटे से घर में
आँखों में अंजन
 गालों पर डिम्पल 
ठोड़ी पर लगा डिठोना 
कर देता मन चंचल |

काले घुंघराले केश
भाव घनेरे आनन पर
जागती सोती अँखियाँ
 मुस्कान कभी अधरों पर |
खोजी उसने  सुख की गलियाँ 
उन पर  कदम बढाए 
बजती पैरों में पैजनियाँ  |
जब भी झनकार सुनाई देती 
अदभुद प्रसन्नता होती 
मीठी तोतली वाणी उसकी 
जीवन में रंग भरती |
ना जाने कब बड़ी हो गई 
डोली में बैठ ससुराल चली
झूला खाली कर गई
घर सूना सूना  लगत उसके बिना
आशा