24 सितंबर, 2016

ग्राम



ग्राम छोटा सा
जीवंत लोग वहां
मस्ती में जीते |

चौपाल पर
शाम ढले आजाते
भजन गाते |

नाचना गाना
ढोल की थाप पर
रोजाना होता |


कच्चा टापरा
द्वार पर खटिया
खेलते बच्चे |

पीपल तले
ठंडी ठंडी छाँव में
राहत मिले |


आम की पाल
खुलेगी आज अभी
ग्राहक आए |

कुए का पानी
गौरी भरने चली
ले कर घड़ा |

गांधी चरखा
सूत कातती बाला
व्यस्त कार्य में |

काम ही काम
नहीं कोई आराम
यही जीवन |


आशा

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