17 जुलाई, 2016

सबला नारी

                                                                 
पढ़ने लिखने का
अरमान बहुत है
पर समय नहीं मिलता
फिर भी समय
खोज ही लेती हूँ
जब लिखने का मन होता है
कागज़ ले प्रयत्न करती हूँ
पेन्सिल से लिखती मिटाती
पर कोई शिक्षक नही मिलता
जो प्यार से समझाए
मुझे सही राह दिखलाए
अब मैं बच्ची नहीं हूँ
अपना हित पहचानती हूँ
भारत की  हूँ  नागरिक
अपने को कम न आंकती 
धीरे धीरे यत्न करूंगी
तभी सबला हो पाऊँगी
अपने हित अहित जान
पूर्णता  प्राप्त कर  पाऊंगी |
आशा

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