06 जून, 2016

तेवर




ना दिखा तेवर अपने
क्या हम ही मिले थे
सबसे पहले
तेरी नाराजगी
ज़रा सी बात पर
शराफ़त तक भूली
लाल पीली होने लगी
बिना बात की बात पर
यह कैसा व्यबहार तेरा
संयम अपना खो कर
सारी हदें पार कर
बातों को तूल देने लगती
हर वक्त की किचकिच
यह नाराजगी
घर को घर न रहने देती
मन संतप्त कर देती
हमें तो प्यारी लगती है
मुस्कान भरी चितवन तेरी
आगे से तेवर अपने
न दिखाना मुझ को
प्यार भरे दिल की सौगात
ही बहुत है मेरे लिए |
आशा

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