13 अप्रैल, 2016

शिकायत

है शिकायत के लिए चित्र परिणाम
ए तकदीर मेरी 
है मुझे शिकायत तुमसे 
क्यूं असफल सदा रहता हूँ 
उसका बोझ लिए फिरता हूँ 
भाग्य मेरा नहीं चेतता
सुख से दूर मुझे करता 
हूँ बाध्य सोचने को 
ऐसा क्या गलत किया मैंने 
जो प्रतिफल भोग रहा हूँ 
सारे यत्न व्यर्थ हो गए 
मर मर कर जी रहा हूँ 
व्यथित हूँ अकारथ हूँ 
पृथ्वी पर भार हो गया हूँ 
अपना गम किससे बांटूं 
सोच हुआ है कुंद 
तकदीर मेरी
 तुम कब जागोगी 
कब तक आखिर
 सुप्त रहोगी 
यदि यही हाल रहा
 होगा अकारथ जीवन मेरा 
तुम्हीं बताओ मैं क्या करू
और कितनी परीक्षा लोगी |
मेरी  कठिनाई दूर करोगी
आशा

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Your reply here: