10 नवंबर, 2015

दीप जलाओ


diip jalaao के लिए चित्र परिणाम
हो मुदित  दीपक जलाओ
प्यार से उपहार लाओ
प्यार बांटो प्यार पाओ
इस क्षण भंगुर जीवन में
यही पल मधुर लगते हैं
इन्हें जियो जितना चाहो
बाती कपास की स्नेह से भरपूर
अपना स्वत्व भूल स्वयं जलती है
पर जग जगमग करती है
उसी भाव को अपनाओ
स्नेह के दीपक जलाओ
मेल मिलाप भाईचारा  
हैं इस पर्व की विशेषता
मन से इनको अपनाओ
सौहार्द का आग़ाज कर
तिमिर को दूर भगाओ
है यह पावन पर्व रौशनी का
दीप जलाओ दीप जलाओ
मन का अन्धकार मिटाओ |
आशा


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Your reply here: