22 सितंबर, 2015

बाई पुराण


आदत से महबूर है  ,बाई बहुत उस्ताद |
रोकाटोकी रोज की ,लगती नई न आज ||

रोजाना बहस बाजी ,उससे सहन न होय |
बाई है तो क्या हुआ ,अपना ज्ञान न  खोय ||

सभी सवाल का जबाब ,एक भी नहीं उधार |
 शब्द वाण थे बेमिसाल, बार बार किये प्रहार ||

हुआ टोटा बाई का ,मानो पड़ा अकाल |
सातों जाती कार्यरत ,फिर भी ना निस्तार ||

महरी माई ना करो ,करो हाथ से काम |
अति आलस्य की हुई ,अच्छा नहीं विश्राम ||

सुख शान्ति की खोज में ,ना हो यूं हलकान
बाई है या मुसीबत ,यही सत्य पहचान ||

मुसीबत झेलना पड़े ,नहीं कोई उपाय |
जिसको आना हो आये ,बाई छोड़ न जाय ||

आशा

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Your reply here: