24 जुलाई, 2015

कैसा न्याय

है यह कैसा न्याय प्रभू 
धनिक  फलता फूलता 
गरीब और गरीब हो जाता
 अपनी बेबसी पर रोता |
भोजन का अभाव सदा 
भूखा उठाता भूखा सुलाता 
अन्न के अभाव में 
वह जर्जर होता जाता |
अमीर कद्र न जानता 
पेट भरा होने पर
 अनादर अन्न का करता
घूरे तक पर फैकता |
आया हूँ तेरे द्वार आज 
न्याय की अपेक्षा है 
खाली हाथ न लौटाना 
होगा तेरा उपकार प्रभू |
भूखे को भोजन देना 
अपना संरक्षण देना 
प्यार की सौहाद्र की 
उपेक्षा न होने देना |
अमीर गरीब के मध्य 
खाई बढ़ न जाए
सौहाद्र बनाए रखना 
 सम दृष्टि सभी पर  रखना |
आशा



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