13 नवंबर, 2014

संयम वाणी का



कटु भाषण तीखे प्रहार
जिव्हा की पैनी धार
हो जाती जब  बेलगाम
चैन मन का हरती
मृदु भाषण मीठी मुस्कान
दुखियों के दुःख हरती
जो भी बोलो तोल मोल कर
अनर्गल शब्दों से परहेज कर
मान हनन से बचे रहोगे
शुभ आशीष संचित करोगे
जैसा बोया   वही काटोगे
यही यदि  स्मृति में हो 
 शान्ति के पुरोधा बनोगे
हर शब्द का अपना महत्व है
वेशकीमती है वह भी  
सोची समझी चयनित भाषा
होती भावों का भण्डार
गैरों को भी अपना लेती
व्यक्तित्व में आता निखार
संयम वाणी का
सुबुद्धि का परिचायक होता
सुख शान्ति का मानक होता 
मन को अपार शान्ति देता |
आशा


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