03 अक्तूबर, 2014

रावण


था वह एक प्रकांड पंडित
अतुलित बुद्धि का स्वामी
थे दस शीश दशानन के  
कुछ स्वस्थ कुछ दुर्बुद्धि लिए
एक कारण कुबुद्धि का था  
बड़ा पद और मद की महिमा  
उच्च पद आसीन वह
गर्व से भमित हुआ
दुर्बुद्धि और मद मत्सर
बन गए विनाश का कारण
आज भी गली गली
 कई रावण दीखते हैं
अच्छे विचार भूल से आते
बुराइयों से घिरे रहते
अब यही देखने को मिलता
सक्रीय बुरे विचार उसे
 विनाश के नजदीक लाते
आये दिन कई रावण मारे जाते |
आशा

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