26 जुलाई, 2014

चिंता




आँगन में जल भरा
चिड़िया आती
दाना खाती पानी पीती
पंख डुबोती नहाती
जल्दी से उन्हें सुखाती
भूख उसे नहीं है
फिर भी मन चंचल
स्थिर नहीं है
कोई जान नहीं पाता
उसकी चिंता वही जानती
चाहती उड़ना
समीप के वृक्ष पर
जहां है उसका बसेरा
बच्चे राह देखते होंगे
चौंच में कीड़ा दबा कर
भरती उड़ान उस ओर
चूं चूं करते बच्चों को 
प्यार से खिलाती
 और समेट लेती उन्हें
अपने पंखों के नीचे
कोई जाने या न जाने 
 माँ का  दुलार
पर बच्चे जानते हैं
है माँ क्या उनके लिए |
आशा


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