26 जून, 2014

आसार सूखे का





किया कैसा क्रूर मजाक
प्रकृति ने मानव के संग
दिखाई झलक बादलों की
फिर उन्हें बापिस बुला लिया
एक बूँद भी जल की न टपकी
आशा निराशा में बदली
ऐसा आखिर क्यूं किया
किस बात की सजा है यह
यह तक स्पष्ट नहीं किया
गर्मी की अति हो गई
त्राहि त्राहि मच रही
पूजा पाठ दुआ प्रार्थना
किसी का असर नहीं  हुआ
यह कैसा मजाक किया |




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