15 जून, 2013

मेरे पापा

माँ की ममता पिता का प्यार
पर अंतर बड़ा दोनों में
ममता की मूरत दिखाई देती 
पर पिता का प्यार छिपा रहता 
दीखता केवल अनुशासन |
लगता था तब बहुत बुरा 
जब छोटी सी बात पर भी 
डांट ही मिलती थी
भूले से भी प्रशंसा नहीं 
जब खुद पिता बन गया हूँ 
बच्चों की उलझने सुलझा रहा हूँ 
तभी जान पाया हूँ 
वे कभी गलत  न थे 
यदि तब रोकटोक न होती 
आज में इतना सक्षम न होता 
रोज याद आती है उनकी 
उनके अनुशासित दुलार की 
अपने सर पर
 उनके वरद हस्त की 
अब सोचता हूँ 
 मेरे पापा  थे सबसे अच्छे 
उनसा कोई  नहीं |
आशा









14 जून, 2013

रुसवाई का सबब

आया था तुझसे मिलने
हालेदिल बयां करने 
उदासी में गुम तुझे देख
हुआ व्यस्त कारण खोजने में |
पर सच्चाई जब सामने आई
कोइ कदम उठा न सका 
तेरे ग़म में इतना मशगूल हुआ 
उसे अपना ही ग़म समझ बैठा |
सहारा आंसुओं का लिया 
पर वे भी कमतर होते गए 
जब एक भी शेष न रहा 
खुद से ही अदावत कर बैठा |
आंसू भी जब खुश्क हुए 
और मन की बात कह न सका
प्यार का इज़हार कर न सका 
रुसवाई का सबब बन बैठा |
आशा



11 जून, 2013

घट छलका


  एक बदरा कहीं से आया 
मौसम पा अनुकूल उसने
डेरा अपना फलक पर जमाया 
 वहीं रुकने का मन बनाया |
दूजे ने पीछा किया
गरजा तरजा
वरचस्व की लड़ाई में 
उससे जा टकराया |
बाहुबल के प्रदर्शन में 
आपसी टकराव में 
दामिनी दमकी
व्योम रौशन किया |
जल  भरा घट छलका
धरती तक आया 
प्रथम वृष्टि की बूंदों से 
वृक्षों ने अवगाहन किया |
नव किशालयों ने
 पूरे उत्साह से 
हवा के  झोंकों के साथ 
वर्षा की नन्हीं बूंदों का 
दिल खोल स्वागत किया |
पंछी चहके गीत गाए
हो विभोर   टहनियों पर झूले
बिछी श्वेत चादर पुष्पों की
उनने  भी सन्मान दिया |
भीनी सुगंध पुष्पों की
 सोंधी खुशबू मिट्टी की 
गवाह उनकी हुई 
खुशनुमां मौसम को
 और हसीन कर गयी |
आशा



09 जून, 2013

शब्द प्रपात


जीवन एक झरने सा बहता 
कल कल निनाद करता 
बाधाएं अटल चट्टान सी 
मार्ग में मिलतीं 
टकराता राह बदलता 
पर विचलित ना होता 
निर्वाध गति से आगे बढ़ता
 मार्ग की हर बाधा से 
हो सहष्णु समझौता करता 
मन मुदित होता जब कोइ आता 
अपने मनोभाव जताता 
सुख दुःख मुझसे सांझा करता 
अटूट बंधन प्रेम का 
मेरे उसके बीच का
और प्रगाढ़ होता 
मन वीणा का तार 
अधिक झंकृत होता 
प्रगति पथ पर बढ़ने की
बार बार प्रेरणा देता
मैं निर्झर निर्मल 
शब्द प्रपात हो रहता |
आशा