22 दिसंबर, 2013

हाइकू (३)

(१)
शिक्षा की देन
अभिनव  अनूप 
वह है  यहीं   |
(2)
थे जब साथ
कितना सुहाना था
यह मौसम |
(३)
 मौसम यहाँ
एकसा न रहता
बदल जाता |
(४)
सुर व साज 
मधु रस में घुली 
मीठी आवाज|
(५)
आवाज तुम
हो साज की मिठास
हैं श्रोता हम |
(६)
बहती जाती
नौका मझधार में
पार हो कैसे |
(7)
कैसे मनाऊँ
मैं दिल को अपने
जाना ही नहीं |



11 टिप्‍पणियां:

  1. दिल की बातें कहते सुनते बहुत बढ़िया हाईकू ! बहुत सुंदर !

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  2. आशा जी काफी सुंदर....हाइकु संग्रह
    कभी पधारिए हमारे ब्लॉग पर भी.....
    नयी रचना
    "फ़लक की एक्सरे प्लेट"
    आभार

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (23-12-13) को "प्राकृतिक उद्देश्य...खामोश गुजारिश" (चर्चा मंच : अंक - 1470) पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. आ० बहुत सुंदर हाइकू..... धन्यवाद
    || जय श्री हरिः ||

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