25 अप्रैल, 2013

सुकून खो गया


मैं खोती तो दुःख न होता
राह खोज ही लेती 
मंजिल तक पहुँच मार्ग 
 बना ही लेती |
पर हूँ परेशान इसलिए 
कि मेरा सुकून खो गया है 
अकारण मन बहुत 
बेचैन हो गया है |
अब तो मुस्कुराने पर भी 
अधिभार लगता है
बाहर कदम बढाने पर 
परमिट लगता है |
यदि भूली कोइ प्रमाणपत्र
बहुत शर्म आती है 
पढ़े लिखे होने  का तमगा
 चूंकि माथे पर लगा है |
मुझसे तो वे ही अच्छी हैं 
जो हैं निपट गंवार 
आत्म बल तो है उनमें 
भय नहीं स्वतंत्र विचरण में |
खोखली मान्यताओं ने 
निर्बल बना दिया 
सुकून भी खोज न पाई
जाने कहाँ भूल आई |
आशा



15 टिप्‍पणियां:

  1. sundar prastuti.खोखली मान्यताओं ने निर्बल बना दिया सुकून भी खोज न पाई जाने कहाँ भूल आई

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  2. ढूँढेंगी तो वहीं कहीं मिल जाएगा दबा छिपा ! अपने मन के हर कोने में तलाशिये कहीं रख कर भूल गयी हैं ! किसी समय अनायास ही मिल जाएगा ! चिंता मत करिये ! सुंदर प्रस्तुति !

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  3. खोखली मान्यताओं ने निर्बल बना दिया सुकून भी खोज न पाई जाने कहाँ भूल आई

    wah Asha jee, kuchh shabdo me kitna kuchh kah diya... aapne
    bahut khub...

    जवाब देंहटाएं
  4. बेहद उम्दा, सार्थक और सुनकर प्रस्तुतीकरण | बधाई |

    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
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  5. बेहद उम्दा, सार्थक और सुनकर प्रस्तुतीकरण | बधाई |

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  6. समस्या यह है की यही बहुतों की समस्या है लेकिन धन और अभिमान के दंभ में इंसान इसे मानता नहीं. शांति सबसे बड़ी उपलब्धि है लेकिन भौतिकता में . चकाचौंध में दर्प तो है शांति कहाँ? शांति भोग में नहीं त्याग है .. लेकिन इसे अब कोई मानता नहीं...

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  7. बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति!
    साझा करने के लिए धन्यवाद!

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  8. सुन्दर सार्थक अभिव्यक्ति..

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