18 अगस्त, 2011

भ्रष्टाचार



कहाँ रहे कैसे दिन बीते
इसकी सुरती नहीं उनको
भीग रहे उस फुहार में
आकंठ लिप्त भ्रष्टाचार में |
जब से बैठे कुर्सी पर
उससे ही चिपक कर रह गए
धन दौलत में ऐसे डूबे
सारे आदर्श धरे रह गए |
वे भूल गए वे क्या थे
नैतिक मूल्य थे क्या उनके
सब कुछ पीछे छोड़ दिया
घड़ा पाप का भरता गया |
भ्रष्टाचार के दलदल से
कोई न बाहर आ पाया
है यह एक ऐसा कीटाणु
समूचा देश निगल रहा |
जाने कितने मुद्दे हैं
पहले से हल करने को
उन पर तो ध्यान दिया नहीं
बढ़ावा दिया भ्रष्टाचार को |
वह अमर बेल सा छाता गया
सारा सुख हर ले गया
पूरा पेड़ सूखने लगा
बरबादी का कहर ढहा |
एक युग नायक ने
उनके अनेक समर्थकों ने
अपना विरोध दर्ज किया
जन जागरण मुखर हुआ |
देश में हलचल हुई
जागृति की लहर चली
कुछ तो प्रभाव हुआ इसका
सोते शासन को हिला दिया |
यदि विरोध नहीं करते
यह कैंसर सा बढ़ता जाता
कोई इलाज काम न करता
भयावह अंत नजर आता |
सभी तो लिप्त हैं इस में
लगे हुए हैं घर भरने में
देश की चिंता कौन करे
नाम उजागर कौन करे|
चक्रव्यूह रचने वालों से
या दलाल हवाला वालों से
जाने कब मुक्ति मिलेगी
भ्रष्टाचार के दानव से|
आशा

9 टिप्‍पणियां:

  1. चिंताजनक .....भ्रष्टाचार पर सटीक प्रस्तुति .

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  2. सामयिक एवं सार्थक रचना ! अन्ना हजारे को नमन व अनंत शुभकामनायें ! उनके आह्वान से देश में जैसा जनजागरण हुआ है वह अभूतपूर्व है ! सुन्दर प्रस्तुति के लिये बधाई !

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  3. आदरणीया आशा अम्मा जी
    सादर प्रणाम ! चरण स्पर्श !!

    सामयिक स्थिति ने पूरे देश को उद्वेलित कर रखा है … आप-हम भी इससे अछूते नहीं रह सकते -
    सभी तो लिप्त हैं इस में
    लगे हुए हैं घर भरने में
    देश की चिंता कौन करे

    हर जिम्मेदार नागरिक अपने देश के लिए चिंतित है … होना आवश्यक भी है । सुंदर श्रेष्ठ रचना के लिए आभार ! बधाई !

    यही भाव मेरी ताज़ा रचना में भी हैं -

    मेरी ख़िदमत के लिए मैंने बनाया ख़ुद इसे
    घर का जबरन् बन गया मालिक ; जो चौकीदार है

    काग़जी था शेर कल , अब भेड़िया ख़ूंख़्वार है
    मेरी ग़लती का नतीज़ा ; ये मेरी सरकार है

    समय निकाल कर पूरी रचना पढ़ने आइए …

    हार्दिक मंगलकामनाओं सहित
    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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  4. वक्त आने दे बता देंगे तुझे ए आसमान,
    हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है ।
    मुक्ति जरूर मिलेगी दोस्त देर हो सकती पर अंधेर कभी नहीं |
    सुन्दर रचना |

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  5. मीनाक्षी जी
    मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आभार |
    आशा

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  6. बढ़ावा दिया भ्रष्टाचार को |

    वह अमर बेल सा छाता गया

    सारा सुख हर ले गया


    पूरा पेड़ सूखने लगा
    mere bichaar aapke bichaaron ka pura samarthan karte hain..sadar pranam aaur apne blog pe nimantran ke sath aaur is akancha ke sath ki aapka ashirwad mujhe nirantar milta rahegaj

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  7. सभी तो लिप्त हैं इस में
    लगे हुए हैं घर भरने में
    देश की चिंता कौन करे
    नाम उजागर कौन करे|
    चक्रव्यूह रचने वालों से
    या दलाल हवाला वालों से
    जाने कब मुक्ति मिलेगी
    भ्रष्टाचार के दानव से|
    ....सच यही चल रहा है हर जगह......अभी बहुत संघर्ष बाकी है..सबको चेतना होगा तभी निजात मिल सकती है....
    बढ़िया प्रस्तुति..
    जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें!

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  8. सभी तो लिप्त हैं इस में
    लगे हुए हैं घर भरने में
    देश की चिंता कौन करे
    नाम उजागर कौन करे|

    सार्थक रचना...
    सादर बधाईयाँ....

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत ही सारगर्भित लेख जन्माष्टमी के अवसर पर शायद अन्ना ही नए अवतार हैं ऐसा लग रहा है ,जनसमूह का समर्थन औए सहयोग और विस्वास जैसा उनको मिल रहा है बस सबकी कोशिश और मेहनत से इस देश का कुछ उद्धार हो जाए बस यही कामना है /बहुत ही सही लिखा एक बूड़े आदमी जो निस्वार्थ भाव से एक बहुत जरुरी मुद्दे पर आवाज उठाई है उसे तीन मिनट में गिरफ्तार कर लिया और कलमाड़ी और कई BHRASHTAACHHARION को गिरफ्तार करने में तीन महीने लगा दिए ,यही है इनकी मर्दानगी /बिलकुल सही लिखा आपने प्रत्येक ब्यक्ति को अपनी तरफ से समर्थन देना चाहिए /भ्रष्टाचार अब ख़त्म होना ही चाहिए /क्योंकि ये जनहित के लिए बिल पास हो रहा है /अन्नाजी के माध्यम और उनके नेतृत्व में जनता जागी है /अब ये आन्दोलन सफल होना ही चाहिए / शानदार अभिब्यक्ति के लिए बधाई आपको /जन्माष्टमी की आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं /
    आप ब्लोगर्स मीट वीकली (५) के मंच पर आयें /और अपने विचारों से हमें अवगत कराएं /आप हिंदी की सेवा इसी तरह करते रहें यही कामना है /प्रत्येक सोमवार को होने वाले
    " http://hbfint.blogspot.com/2011/08/5-happy-janmashtami-happy-ramazan.html"ब्लोगर्स मीट वीकली मैं आप सादर आमंत्रित हैं /आभार /

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